नयी दिल्ली, भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में सुधारों एवं आधुनिकीकरण करके सरकारों के परे लोगों के बीच संपर्क गहन बनाने की आज वकालत की और आतंकवाद के खिलाफ दोहरे मापदंड छोड़ने का पुरजोर आह्वान किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23वें एससीओ शिखर-सम्मेलन के मुख्य सत्र की अध्यक्षता करते हुए यह आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में, एससीओ, पूरे एशियाई क्षेत्र में, शान्ति, समृद्धि और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म के रूप में उभरा है। इस क्षेत्र के साथ, भारत के हजारों वर्ष पुराने सांस्कृतिक और जनता के बीच संबंध, हमारी साझा विरासत का जीवंत प्रमाण हैं। हम इस क्षेत्र को “विस्तारित पड़ोस” ही नहीं, “विस्तारित परिवार” की तरह देखते हैं।
मोदी ने भारत के अध्यक्षीय काल में एससीओ के विचार बिन्दुओं में विस्तार होने का विवरण दिया और कहा कि एससीओ के अध्यक्ष के रूप में, भारत ने हमारे बहुआयामी सहयोग को नयी ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए निरंतर प्रयास किये हैं। इन सभी प्रयासों को हमने दो मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित किया है। पहला, वसुधैव कुटुम्बकम, यानि पूरा विश्व एक परिवार है। यह सिद्धांत, प्राचीन समय से हमारे सामाजिक आचरण का अभिन्न अंग रहा है। और आधुनिक समय में भी हमारे लिए एक नयी प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत है। और दूसरा, सिक्योर यानि सुरक्षा, आर्थिक विकास, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता एवं प्रादेशिक अखंडता का सम्मान और पर्यावरण संरक्षण. यह हमारी अध्यक्षता का थीम और हमारे एससीओ के विजन का प्रतिबिंब है।