*😇चकरघिन्नी डॉट कॉम😇*
*✍️खान अशु*
*बैंड, बाजा, बारात…!*
बैंड, बाजे, शब गश्त, जगरातों का दौर दो दिन पहले खत्म हो गया था…! शुक्र की सुबह पंडाल से सजे हजारों मत केंद्र… दूल्हों की तरह सजे धजे प्रत्याशी, पलक पांवड़े बिछाए समर्थक, व्यवस्था सम्हाले सरकारी कर्मी… और बारातियों जैसी अकड़ के साथ पहुंचे मतदाता…!
मत अधिकार मानते हुए केंद्र तक पहुंचे लोगों को कुछ देर में अहसास होने लगा, यहां तक आकर उन्होंने कोई गलती तो नहीं कर दी…! ईवीएम तक पहुंचने तक की धीमी रफ्तार, कर्मचारियों की अलाली ने इस स्थिति को गहराए रखा…! एक परिवार के चार लोगों को चार अलग केंद्रों की दौड़ लगाने की सजा निर्वाचन विभाग ने दे रखी थी…! मत पर्चियों पर अस्पष्ट और अपठनीय जानकारियों ने भी आंखों और मतदाता के धैर्य की परीक्षा ली…!
मतदान केंद्रों पर छांव, बैठने की जगह, पानी, लघुशंका निवारण आदि की कमियों से भी लोग झुंझलाते रहे…!
मतदान उरूज पर आने लगा तो कुछ प्रत्याशियों का उत्साह, कुछ की झुंझलाहट, खीज दिखाई देने लगी…! अपने नेताओं की शिकन ने समर्थकों की त्योंरियां चढ़ाने में देर नहीं की…! बातें चलीं, लातें चलीं, लट्ठ और धमकियों से लेकर शिकायतें भी चलीं…! बातों को अंजाम देते प्रत्याशियों ने सरकारी मशीनरी को सरकार की कठपुतली, दलाल, उनका बिकाऊ तक भी कहने से गुरेज़ नहीं किया…!
शाम ढले तक कुल मत प्रतिशत का कैलकुल्शन भी सामने आ गया…! मप्र में आमतौर पर होने वाले मतदान से बढ़े आंकड़े को लेकर अब दावों का दौर है…! सत्ताधीश इसको कल्याणकारी योजनाओं से मिला जनाशीर्वाद करार दे रहे हैं…! विपक्षी इसको लोगों की बदलाव जिज्ञासा बता रहे हैं…! अब जन अपना मन ईवीएम पर किस तरह धर कर आया है, इसकी सटीक जानकारी के लिए फिलहाल इंतजार ही किया जा सकता है….!
*पुछल्ला*
*एक काली रात और…!*
बरसों पहले दिसंबर की एक काली रात ने दुनिया को अवसाद और अफसोस से भर दिया था। दुनिया की भीषणतम त्रासदी को लोग इस रात से मिले जख्मों के साथ अब भी याद कर सिहर जाते हैं। 3 दिसंबर की ऐसी ही एक रात 230 लोगों को खुशियों के साथ याद रखने की वजह देंगे। जबकि इससे कई गुना ज्यादा लोगों को ऐसा जख्म भी इस रात मिलेगा, जिसे वे कम से कम 5 साल तो सहलाते रहने वाले हैं।