नयी दिल्ली राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने संसद के बजट सत्र के पहले दिन बुधवार को संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में विश्वभर में पर्यावरण अनुकूल उत्पादों की विशेष मांग के मद्देनजर सरकार ने ‘जीरो इफेक्ट जीरो डिफेक्ट’ पर बल देते हुए हरित ऊर्जा पर फोकस किया है।
श्रीमती मुर्मु ने कहा कि बीते 10 सालों में गैर जीवाश्म ईंधन पर आधारित ऊर्जा की क्षमता 81 गीगावाट से बढ़कर 188 गीगावाट हो चुकी है। इस दौरान सौर ऊर्जा क्षमता में 26 गुना वृद्धि होने के साथ ही पवन ऊर्जा क्षमता भी दोगुनी हुई है। उन्होंने कहा, “नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता और पवन ऊर्जा क्षमता में हम विश्व भर में चौथे नंबर पर हैं। वहीं सौर ऊर्जा क्षमता में हमारा स्थान पांचवे नंबर पर है।
सुश्री मुर्मु ने कहा कि भारत ने 2030 तक अपनी स्थापित क्षमता का 50 प्रतिशत गैर जीवाश्म ईंधन से पूरा करने का लक्ष्य रखा है। बीते 10 वर्षों में 11 नए सोलर पार्क बन चुके हैं तथा नौ सोलर पार्क पर अभी काम जारी है। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले ही घर की छत पर सौर ऊर्जा उपलब्ध कराने के लिए नयी योजना घोषित की गयी है जिसके तहत एक करोड़ परिवारों को मदद दी जायेगी। इससे बिजली का बिल भी कम होगा और अतिरिक्त बिजली की बिक्री विद्युत बाजार में की जाएगी।
उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी बहुत तेजी से काम किया जा रहा है। सरकार ने 10 नये परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को स्वीकृति दी है। इसके साथ ही हाइड्रोजन एनर्जी के क्षेत्र में भी देश तेज गति से आगे बढ़ रहा है। अभी तक लद्दाख और दमन-दीव में दो परियाजनाएं शुरू की जा चुकी है। सरकार ने इथेनॉल के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम किया है। देश 12 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य हासिल कर चुका है और बहुत ही जल्द, 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य भी पूरा होने वाला है। इससे देश के किसानों की आय बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि अभी तक सरकारी कंपनियों के जरिए एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का इथेनॉल क्रय किया गया है। इस तरह के तमाम प्रयासों से देश की ऊर्जा ज़रुरतों के लिए विदेशों पर निर्भरता कम होगी। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले ही बंगाल की खाड़ी में एक नये ब्लॉक में तेल उत्पादन शुरू हुआ है, जो देश के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि है।