नयी दिल्ली। नौसेना के शीर्ष कमांडरों का तीन दिन का सम्मेलन मंगलवार को शुरू होगा और हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित किये जा रहे सम्मेलन को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह संबोधित करेंगे।
सम्मेलन का पहला चरण समुद्र में आयोजित किया जा रहा है और रक्षा मंत्री उद्घाटन सत्र में नौसेना के दोनों विमानवाहक पोतों की संचालन क्षमता को परखेंगे। बाद में वह कमांडरों को संबोधित भी करेंगे।
यह वार्षिक सम्मेलन नौसेना के कमांडरों के लिए समुद्री सुरक्षा से संबंधित रणनीतिक गतिविधियों, परिचालन एवं प्रशासनिक मामलों पर विचार-विमर्श करने के उद्देश्य से एक मंच के रूप में कार्य करता है। सम्मेलन उभरती हुई भू-राजनीतिक परिस्थितियों, आंचलिक चुनौतियों और इस क्षेत्र में मौजूदा अस्थिर समुद्री सुरक्षा स्थिति की पृष्ठभूमि में आयोजित किया जा रहा है। यह नौसेना द्वारा भविष्य की कार्यप्रणाली को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सम्मेलन के दौरान प्रमुख रक्षा अध्यक्ष भी सेना और वायु सेना के प्रमुखों के अलावा नौसेना के कमांडरों के साथ सामान्य राष्ट्रीय सुरक्षा माहौल के बारे में और तीनों सेनाओं के एकीकरण पर चर्चा करेंगे। वह राष्ट्रीय हितों की रक्षा में तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और तत्परता बढ़ाने के अन्य उपायों पर भी बात करेंगे।
पिछले छह महीनों में इजरायल-हमास के बीच चल रहे संघर्ष के कारण हिंद प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव देखे गए हैं। अन्य देशों के रणनीतिक झुकाव के परिणामस्वरूप होने वाली गतिविधियां समुद्री क्षेत्र में भी फैल चुकी हैं। व्यापारिक जहाजों पर ड्रोन और मिसाइल हमलों के साथ-साथ समुद्री डकैती की घटनाओं में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। नौसेना ने इन उभरते खतरों का अपने सामर्थ्य एवं संकल्प के साथ करारा जवाब दिया है और प्राथमिक कार्रवाई करने वाली सेना के रूप में अपनी क्षमता और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है।
नौसेना कमांडरों का सम्मेलन तेजी से परिवर्तित हो रहे समुद्री माहौल के बीच नौसेना के भविष्य की दिशा तय करने के लिए निर्णायक भूमिका निभाता है। यह सम्मेलन रणनीतिक स्पष्टता, परिचालन उत्कृष्टता, तकनीकी नवाचार और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देकर भारत के समुद्री हितों की रक्षा करने तथा क्षेत्र में एक जिम्मेदार समुद्री ताकत के रूप में अपनी स्थिति को बनाए रखने के लिए नौसेना की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।