भोपाल, रायसेन, सीहोर, के हाजियों के लिए भोपाल की महिला शासको ने जो रुबात मक्का और मदीना में बनवाई थी उन पर स्पष्ट मामला सामने नहीं आ रहा, उसे शाही औकाफ के अधीन कहा जाता है जबकि शाही औकाफ मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड से ही रजिस्टर्ड है, मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड को यह अधिकार है कि वह यह स्पष्ट रूप से मक्का और मदीना में जो इमारतें हैं उनकी जानकारी हासिल करें और पारदर्शिता के साथ उसे जनता के समक्ष रखें, हज के बाद 11 महीने उसका उपयोग किस चीज में होता है और वहां से प्राप्त धनराशि कहां जाती है और उसका ऑडिट मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड क्यों नहीं पूछता, सऊदी सरकार में औकाफ का मामला तो और भी पारदर्शिता के साथ होता है ऐसा लोगों का मानना है आखिर फिर यह क्या मामला है जिसकी पर्दा दारी है। तीन जिलों के लगभग 2000 से अधिक हज यात्रा पर जाने वाले हाजियों में से मात्र 200 लोगों को मक्का की रूबात में ठहराया जाएगा शेष लोग अपने-अपने तरीके से ठहरेंगे। जबकि मदीना में किसी को भी
मौका नहीं मिलेगा, वर्षों पूर्व मदीना में सभी तीनों जिलों के हाजियों को ठहरने का भरपूर मौका मिलता था और सारी सुविधाएं उन्हें प्राप्त होती थी। विगत कई वर्षों से यह स्पष्ट नहीं
के बाद नवाब हमीदुल्लाह खान
हज यात्रा से पहले सिर्फ चर्चा में रहता है मामला
है कि वहां पर मदीना में हाजियों की व्यवस्था क्यों नहीं हो पा रही है, सूत्रों का कहना है कि सऊदी सरकार ने उसे अधिग्रहण कर लिया है इसलिए मामला कोर्ट में विचाराधीन है मगर यह सुनते हुए कई वर्ष बीत गए, जग जाहिर है कि सऊदी सरकार में कोर्ट के मामले अधिक पेंडिंग नहीं रहते और फैसले जल्द होते हैं। विशेष कर औकाफ और एक्सीडेंट डेथ क्लेम के मामले तत्काल निपटाए जाते हैं। इसके अलावा एक बात और लोगों के लिए चर्चा का विषय है कि इमारतों की 11 महीने जो कमाई आती है उसकी जानकारी सार्वजनिक क्यों नहीं होती क्योंकि यह वक्फ संपत्ति है और जो इसकी निगरानी कमेटी है वह वक्फ अलल औलाद है, बेगमात भोपाल और उसके बाद बेगम साजिदा सुल्तान और उसके बाद नवाब पटौदी और अब सबा सुल्तान इसकी मुतावल्ली है। इनको मूतवल्ली मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड करता है। फिर उसकी यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह उसकी जानकारी प्राप्त करें, इसी तर्ज पर भोपाल की मोती मस्जिद, जामा मस्जिद, बाग नुजहत अफजा, रायसेन दरगाह और वहां पर कृषि भूमि सहित अनेक संपत्ति औकाफ ए शाही की मानी जाती है। मगर सच्चाई यही है यह सब कुछ मध्य प्रदेश क बोर्ड से रजिस्टर्ड है और मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड इसके लिए जिम्मेदार है। उल्लेखनीय है कि पूर्व अध्यक्ष मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड गुफरान आजम ने इस मामले पर चाबुक चलाया था और जब इसकी जानकारी प्राप्त की थी तो स्वयं सबा सुल्तान को भोपाल आकर सफाई देना पड़ा था और उस समय गुफरान आजम के प्रयासों से मक्का में भी पर्याप्त हाजियों को ठहराया गया था और मदीना में सभी हाजियों को जगह मिली थी, मगर अब यह सब कुछ एक इतिहास बन गया कुछ लोग अपना पक्ष इस तरह रखते हैं कि हम शाही औकाफ हैं, हमारा किसी पर नियंत्रण नहीं।