अतिथि विद्वानों का आंदोलन सरकार की घोषणाओं को पूरा करने के लिए शुरू किया गया है। अतिथि विद्वानों ने सरकार को उनकी घोषणाओं की याद दिलाने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से धरना दिया है। उनका कहना है कि उनका उद्देश्य आंदोलन करना नहीं बल्कि सरकार से अपनी मांगे मनवाने का है, जो उन्होंने अतिथि विद्वानों से की थी। इन्हीं मांगों को लेकर अतिथि विद्वानों ने राजधानी में डेरा डाल दिया है और उनका कहना है कि सरकार यदि अपनी घोषणाओं को पूरा नहीं करती तो उन्हें आगे आंदोलन करने पर विवश होना पड़ेगा।
यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों पर आधारित है, जैसा कि चम्पारण सत्याग्रह में देखा गया था ¹। अतिथि विद्वानों का यह आंदोलन सरकार को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास कराने और अपनी मांगों को पूरा करने के लिए एक मजबूत कदम है।