आज के दौर में अचानक दिल के दौरे से मौत के मामलों में तेजी आई है। इस विषय पर गहराई से चर्चा करने के लिए हमने बात की भोपाल मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल (BMH), एयरपोर्ट रोड, भोपाल के संचालक और वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ, डॉ. ज़ीशान अहमद से।
रिपोर्टर: डॉ. ज़ीशान, “सडन कार्डियक डेथ” के बारे में बात करने से पहले, क्या आप हमें समझा सकते हैं कि यह अचानक दिल का दौरा किस प्रकार अलग है?
डॉ. ज़ीशान अहमद: बिल्कुल। “सडन कार्डियक डेथ” और हार्ट अटैक के बीच अक्सर भ्रम होता है, लेकिन दोनों अलग हैं। हार्ट अटैक तब होता है जब दिल को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में अवरोध आ जाता है। वहीं, सडन कार्डियक डेथ तब होती है जब दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है, जो अक्सर दिल की धड़कन के अनियमित होने के कारण होता है। सडन कार्डियक अरेस्ट में व्यक्ति कुछ ही मिनटों में बेहोश हो सकता है और अगर तुरंत इलाज न मिले, तो जान बचाना मुश्किल हो जाता है।
रिपोर्टर: तो सडन कार्डियक डेथ किस कारण से होती है?
डॉ. ज़ीशान अहमद: इसका सबसे बड़ा कारण दिल की धड़कन का अनियमित होना होता है, जिसे वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन कहा जाता है। यह तब होता है जब दिल की निचली कक्षाएं (वेंट्रिकल्स) असामान्य रूप से धड़कती हैं, जिससे रक्त प्रवाह बंद हो जाता है। इसके अलावा, पहले से अज्ञात हृदय रोग, विशेष रूप से कोरोनरी आर्टरी डिजीज, इसका प्रमुख कारण हो सकता है। कुछ मामलों में यह जीन या हृदय की संरचना में दोष के कारण भी हो सकता है।
रिपोर्टर: यह जानना चौंकाने वाला है। क्या सडन कार्डियक डेथ किसी को भी प्रभावित कर सकता है, या इसके कुछ विशेष जोखिम समूह हैं?
डॉ. ज़ीशान अहमद: हां, यह किसी भी आयु वर्ग को प्रभावित कर सकता है, लेकिन कुछ जोखिम समूह अधिक संवेदनशील होते हैं। जो लोग पहले से हृदय रोग से पीड़ित हैं, जिनका कोलेस्ट्रॉल या ब्लड प्रेशर उच्च स्तर पर है, जिनके परिवार में दिल की बीमारी का इतिहास है, वे लोग सडन कार्डियक डेथ के अधिक जोखिम में होते हैं। इसके अलावा, धूम्रपान, मोटापा, मधुमेह और निष्क्रिय जीवनशैली भी जोखिम बढ़ाते हैं।
रिपोर्टर: क्या युवाओं में भी सडन कार्डियक डेथ का खतरा होता है?
डॉ. ज़ीशान अहमद: दुर्भाग्य से, हां। हाल के सालों में युवाओं में भी इसके मामले बढ़े हैं। इसके पीछे तनाव, अत्यधिक व्यायाम के बाद शरीर की ठीक से देखभाल न करना, ड्रग्स का सेवन और अनियंत्रित जीवनशैली हो सकती है। कई बार युवाओं में हृदय संबंधी समस्याएं बिना किसी लक्षण के मौजूद रहती हैं, जिससे खतरा और बढ़ जाता है।
रिपोर्टर: डॉ. ज़ीशान, क्या सडन कार्डियक डेथ के कोई शुरुआती लक्षण होते हैं, जिनके बारे में लोगों को सतर्क रहना चाहिए?
डॉ. ज़ीशान अहमद: ज्यादातर मामलों में सडन कार्डियक डेथ अचानक होती है और इसके पहले कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते। लेकिन कुछ लोगों में इसके पहले कुछ संकेत हो सकते हैं, जैसे तेज़ सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई, बेहोशी, या चक्कर आना। यदि किसी को ऐसे लक्षण महसूस होते हैं, तो उसे इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत चिकित्सीय सहायता लेनी चाहिए।
रिपोर्टर: इस स्थिति से बचने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
डॉ. ज़ीशान अहमद: सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम है नियमित स्वास्थ्य जांच कराना। इससे किसी भी तरह की हृदय संबंधी समस्या को शुरुआती स्तर पर पहचाना जा सकता है। इसके अलावा, संतुलित आहार लेना, नियमित व्यायाम करना, तनाव कम करना और धूम्रपान जैसी हानिकारक आदतों से बचना जरूरी है। अगर परिवार में हृदय रोग का इतिहास है, तो अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।
रिपोर्टर: अगर किसी को सडन कार्डियक अरेस्ट हो जाए, तो तुरंत क्या किया जाना चाहिए?
डॉ. ज़ीशान अहमद: अगर किसी व्यक्ति को सडन कार्डियक अरेस्ट हो, तो तुरंत CPR (कार्डियोपल्मोनरी रेससिटेशन) शुरू करें। CPR का मकसद दिल की धड़कन को फिर से शुरू करना होता है। इसके साथ ही, यदि उपलब्ध हो, तो AED (ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर) का उपयोग करें। ये दोनों प्रक्रियाएं समय रहते शुरू की गईं तो जान बचाने में मदद कर सकती हैं।
रिपोर्टर: आपके अनुसार, सडन कार्डियक डेथ से बचाव के लिए हमारे समाज में किस तरह की जागरूकता फैलानी चाहिए?
डॉ. ज़ीशान अहमद: हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लोगों को दिल की बीमारियों के बारे में जानकारी हो, खासकर उन लक्षणों के बारे में जो हल्के दिखते हैं लेकिन गंभीर हो सकते हैं। CPR और AED के उपयोग की जानकारी हर व्यक्ति को होनी चाहिए। इसके अलावा, स्कूलों, कॉलेजों और कार्यस्थलों पर स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन कर अधिक से अधिक लोगों तक यह जानकारी पहुंचानी चाहिए।
डॉ. ज़ीशान अहमद: मेरा संदेश यही है कि दिल की सेहत को गंभीरता से लें। यह हमारी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण अंग है और इसके प्रति लापरवाही हमें भारी पड़ सकती है। समय पर जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर सडन कार्डियक डेथ जैसी खतरनाक स्थिति से बचा जा सकता है। हमेशा सतर्क रहें और खुद के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी उठाएं।