मध्य प्रदेश पर्यटन का नया विज्ञापन “मोह लिया रे…” जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया है। प्रदेशभर में इस विज्ञापन को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कई लोगों का मानना है कि इस विज्ञापन में मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों जैसे कि सांची, भेड़ाघाट, ओंकारेश्वर, भोपाल इत्यादि को नज़रअंदाज़ किया गया है, जो एक बड़ा नुकसान है। साथ ही, इसमें ग्रीन स्क्रीन का अत्यधिक उपयोग किए जाने की बात कही जा रही है, जो दर्शकों को वास्तविकता का आभास कराने में विफल रहा है। खास बात यह है कि विज्ञापन की शुरुआत में खुद ग्रीन स्क्रीन का मज़ाक उड़ाते हुए एक कटाक्ष किया गया है, जो इसे विरोधाभासी बना रहा है।
हालांकि, इस पूरे विज्ञापन में केवल अभिनेता पंकज त्रिपाठी ही एकमात्र आकर्षण बने हुए हैं। उनकी उपस्थिति ने इस विज्ञापन में कुछ जान डालने की कोशिश की है, लेकिन फिर भी यह पुराने विज्ञापनों जैसे प्रभाव नहीं छोड़ पाया है।
एमपी पर्यटन के पिछले तीन विज्ञापन – “एमपी अजब है, सबसे गजब है,” “हिन्दुस्तान का दिल देखा” और “हिंदुस्तान का दिल देखो” – अपने शानदार संगीत, बेहतरीन दृश्य और अनोखी प्रस्तुतियों के लिए जाने जाते हैं। इन विज्ञापनों ने न केवल दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया, बल्कि राज्य की सुंदरता और विविधता को भी बखूबी पेश किया। इन विज्ञापनों ने न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मध्य प्रदेश को पर्यटन के क्षेत्र में पहचान दिलाई थी।
दिल्ली स्थित एक विज्ञापन एजेंसी द्वारा बनाए गए “मोह लिया रे…” में पुराने विज्ञापनों की तुलना में वह गहराई और जुड़ाव नहीं दिखता। सूत्रों के अनुसार, प्रदेश सरकार के उच्च स्तर पर भी इस विज्ञापन को लेकर संतोष नहीं है। यह विज्ञापन वास्तव में एक रणनीतिक मास्टर स्ट्रोक है या एक भूल, इसका आकलन अभी बाकी है।