G-20 Summit: भारत की अध्यक्षता में जी-20 विदेश मंत्रियों की औचपारिक बैठक आज से नई दिल्ली में शुरू हो गई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के दो सत्रों की अध्यक्षता करेंगे।
अब तक आ चुके अधिकारियों का स्वागत किया है। वहीं, आज सुबह यानी गुरुवार को स्पेन, चीन और सऊदी अरब के विदेश मंत्री दिल्ली पहुंचे है।
बैठक से पहले तुर्की और सीरिया के लिए मौन रखा गया
जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक शुरू होने से पहले, तुर्की और सीरिया में हाल ही में आए भूकंपों में जान गंवाने वाले लोगों के लिए एक मिनट का मौन रखा गया। इतालवी प्रधान मंत्री जियोर्जिया मेलोनी, फ्रांसीसी विदेश मंत्री कैथरीन कोलोना, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, ब्रिटेन के विदेश सचिव जेम्स क्लेवरली, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और सऊदी विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन लादेन ने बैठक में भाग लेने वाले इतालवी प्रधान मंत्री जियोर्जिया मेलोनी का स्वागत किया।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच ये बैठक काफी अहम
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच ये बैठक काफी अहम मानी जा रही है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, फ्रांस की कैथरीन कॉलोना, जर्मनी की एनालेना बेयरबॉक और ब्रिटिश विदेश सचिव जेम्स क्लेवरली भारत द्वारा आयोजित बैठक में मौजूद होंगे।
वहीं, जापान में चल रहे संसद सत्र के कारण विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी की इस बैठक में भाग लेने की संभावना नहीं है। बता दें कि हयाशी की यात्रा को जी20 बैठक से इतर क्वाड देशों की विदेश मंत्रिस्तरीय बैठक की योजना में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
चीन की उपस्थिति मायने रखती है
चीनी विदेश मंत्री किन गैंग भी G20 कार्यक्रम में शामिल होंगे। बता दें कि इस बैठक में भारतीय समकक्ष एस जयशंकर के साथ अपनी पहली द्विपक्षीय बैठक करने की उम्मीद है।
वहीं, चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि बीजिंग यह सुनिश्चित करने के लिए सभी पक्षों के साथ काम करने के लिए तैयार है कि जी20 की बैठक “बहुपक्षवाद, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा और विकास सहयोग” पर सकारात्मक संकेत देगी। बता दें कि ये पिछले साल दिसंबर में वांग यी के विदेश मंत्री बनने के बाद किन की यह पहली भारत यात्रा है।
हंगामेदार सत्र की संभावना
यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के प्रमुख जोसेप बोरेल ने कहा कि जी20 की बैठक हंगामेदार होगी यह 1 मार्च को स्पष्ट हो गया है। बता दें कि वह रूस के ‘अंतर्राष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के घोर उल्लंघन, और इसके वैश्विक परिणामों, विशेष रूप से ऊर्जा और खाद्य असुरक्षा पर एक मजबूत संदेश देने की योजना बना रहे है।