नयी दिल्ली, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं काे सर्वसुलभ बना रही है जिससे आम जनता को भारी धन की बचत हो रही है।
श्रीमती मुर्मु ने संसद के बजट सत्र के शुरू होने पर यहां नये संसद भवन में लोकसभा के सदन में दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट के तहत लगभग 53 करोड़ लोगों की डिजिटल हेल्थ आईडी बन चुकी है।
उन्होंने कहा कि आयुष्मान योजना के अलावा भी केंद्र सरकार, विभिन्न अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा देती है। इससे देश के नागरिकों के साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए खर्च होने से बचे हैं। जन-औषधि केंद्रों की वजह से मरीजों के करीब 28 हजार करोड़ रुपए खर्च होने से बचे हैं। इसके अलावा कोरोनोरी स्टेंट, घुटने के इंप्लांट तथा कैंसर की दवाओं की कीमत भी कम की गई है। इससे मरीज़ों को हर वर्ष लगभग 27 हजार करोड़ रुपए की बचत हो रही है।
राष्ट्रपति ने कहा कि किडनी के मरीजों के लिए मुफ्त डायलिसिस का अभियान भी चला रही है। इसका लाभ प्रतिवर्ष 21 लाख से ज्यादा मरीज उठा रहे हैं। इनके प्रतिवर्ष एक लाख रुपए खर्च होने से बचे हैं। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान की वजह से आज देश में शत-प्रतिशत संस्थागत प्रसव हो रहे हैं। इस वजह से माता मृत्यु दर में भी भारी गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि उज्ज्वला योजना के लाभार्थी परिवारों में, गंभीर बीमारी की घटनाओं में कमी आई है।
श्रीमती मुर्मु ने कहा कि सामान्य वर्ग के गरीबों को पहली बार आरक्षण की सुविधा दी गई। मेडिकल में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के केन्द्रीय कोटे के तहत दाखिले में 27 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया गया है। वर्ष 2014 तक देश में सात एम्स और 390 से भी कम मेडिकल कॉलेज थे। पिछले दशक में 16 एम्स और 315 मेडिकल कॉलेज स्थापित किए गए हैं। इसक अलावा 157 नर्सिंग कॉलेज स्थापित किए जा रहे हैं। पिछले दशक में, एमबीबीएस की सीटों में दोगुने से भी अधिक की वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने योग, प्राणायाम और आयुर्वेद की भारतीय परंपराओं को पूरी दुनिया तक पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। पिछले वर्ष, संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 135 देशों के प्रतिनिधियों ने एक साथ योग किया। यह अपने आप में एक नया रिकॉर्ड है। सरकार ने आयुष पद्धतियों के विकास के लिए एक नया मंत्रालय बनाया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का पहला वैश्विक पारंपरिक औषधि केंद्र भी भारत में बन रहा है।