नयी दिल्ली ।मेडिकल टेक्नोलॉजी कंपनी सोनाब्लेट के प्रोस्टेट कैंसर के लिए उपयोगी नवीनतम इनोवेशन सोनाब्लेट एचआईएफयू (हाई इंटेंसिटी फोकस्ड अल्ट्रासाउंड) काे उपयोग राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर में उपयोग किया जा रहा है।
कंपनी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि यह एक मिनिमली इन्वेज़िव रोबोटिक डिवाईस है, जो प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों को सटीक एवं केंद्रित एब्लेटिव एनर्जी (किसी टिश्यू को काटकर निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा) प्रदान करती है। भारत में सोनाब्लेट एचआईएफयू रोबोटिक डिवाईस के अधिकृत वितरक नोवोमेड इन्कॉर्पोरेशन प्राईवेट लिमिटेड हैं।
सोनाब्लेट एचआईएफयू टेक्नोलॉजी का फायदा यह है कि इस प्रक्रिया को कस्टमाईज़ कर प्रोस्टेट के केवल प्रभावित हिस्से पर केंद्रित किया जा सकता है, जिससे आसपास के स्वस्थ टिश्यू को नुकसान पहुँचने का जोखिम कम हो जाता है। इसके अलावा, यह एक मिनिमली इन्वेज़िव, रेडियेशन-फ्री एब्लेशन है, जिसमें खून नहीं निकलता, और स्वास्थ्यलाभ काफी कम समय में मिल जाता है।
राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर के ऑन्कोलॉजी सर्विसेज के मेडिकल निदेशक और चीफ ऑफ जेनिटोयूरो डॉ़ सुधरी रावल ने “ हमारे संस्थान में इस मशीन का उपयोग किया जा रहा है, और अभी तक इसने बहुत सुगमता से काम किया है। यह एक यूज़र-फ्रेंडली डिवाईस है, पर इसके लिए प्रक्रिया शुरू होने से पहले पर्याप्त प्रशिक्षण जरूरी होता है। इस प्रक्रिया में कम से कम परेशानी होती है और बहुत कम साईड इफेक्ट्स के साथ बीमारी का पूरा इलाज होता है। इसका एक फायदा यह भी है कि ऑपरेशन के दौरान और ऑपरेशन के बाद होने वाली रेडिकल प्रोस्टेटेक्टोमी (आरएएलपी) समस्याएं, जैसे दर्द, इरेक्टाईल डिस्फंक्शन, यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस आदि से बचा जा सकता है। साथ ही रेडियेशन थेरेपी के साईड इफेक्ट्स जैसे जीआई टॉक्सिसिटी, हेमेट्यूरिया आदि भी नहीं होते। अगर कैंसर वापस लौटकर आता है, तो मरीज का इलाज सर्जिकल, या रेडियेशन थेरेपी द्वारा करने का विकल्प भी बचा रहता है।”
डॉ. रावल ने कहा, “ प्रोस्टेट कैंसर होते ही उसकी पहचान और अपनी यौन शक्ति एवं मूत्र रोकने की क्षमता को बनाए रखने की मरीज की इच्छा को देखते हुए यह टेक्नोलॉजी उपयुक्त थी। ऐसे मामलों में इस प्रक्रिया के काफी अच्छे परिणाम मिलते हैं।”