आर्थिकी के शीर्ष पर होने के बावजूद इस युवक में जो सहजता, सरलता, सनातन के प्रति समर्पण-भाव है और जिस तरह ये डैड-मॉम बोलने वाले उथले दौर में अपने पालकों को नेशनल टीवी पर माताजी-पिताजी संबोधित करता है, यह सब देखकर सुनकर इनकी धर्मपरायणता पर गर्व और स्नेह होता है।
यदि हम अनंत अंबानी को केवल इसलिए सामाजिक स्वीकार्यता और सम्मान नहीं देंगे, क्योंकि वह किसी बीमारी के कारण वैसा परफेक्ट नहीं दिखता, जैसा कि पश्चिम ने हमारे दिमागों में भर दिया है, तो फिर हम और कैसा परफेक्ट युवक चाहते हैं।
बहुत सधी हुई देह वालों को बहुत निर्लज्जता से देश व धर्म विरोधी होते देखा है हम सबने। अत: हमें अनंत अंबानी जैसे युवकों का उपहास के बजाय सम्मान करना होगा।
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